देसंविवि में राष्ट्रीय एकता व सनातन संस्कृति पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
शिव प्रकाश शिव
समस्याओं का समाधान सनातन संस्कृति में निहित - शेखावत
यह समय भारतीय सनातन संस्कृति के पुर्नजागरण का है - डॉ चिन्मय पण्ड्या
हरिद्वार, 29 मार्च। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय एकता और सनातन संस्कृति विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, हरिद्वार सांसद श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, हंस फाउण्डेशन की संस्थापिका माता श्री मंगला ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया। सभी महानुभावों ने राष्ट्रीय एकता एवं सनातन संस्कृति के विकास के लिए समन्वय स्थापित कर कार्य करने पर बल दिया। यह आयोजन देवभूमि विकास संस्थान देहरादून एवं देसंविवि के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि जब दुनिया के लोग अपने जीवन एवं अस्तित्व के लिए संधर्षरत थे, तब भारत के ऋषि-मुनि, संत-महात्माओं ने मानव कल्याण-विश्व कल्याण के लिए तप साधना किया और विभिन्न वेद शास्त्रों एवं ग्रंथों की रचना की, जो सनातन संस्कृति के संवाहक बनें। आज पूरा विश्व विभिन्न देशों में टकराव, पर्यावरण, मानसिक स्वास्थ्य आदि विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहा है तब इसका एकमात्र समाधान भारतीय संस्कृति-सनातन संस्कृति में संव्याप्त है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति के वैभव, उत्कर्ष एवं उत्थान के लिए यह अत्यंत आवश्यक है। देश में सनातन संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की दिशा में सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
देसंविवि के प्रतिकुलपति युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि वर्तमान समय भारतीय सनातन संस्कृति के पुर्नजागरण का है, इस समय भारत का भविष्य लिखा एवं गढ़ा जा रहा है, ऐसे समय में भारत के गौरवशाली अतित से कुछ सीखना अनिवार्य हो जाता है। भारत की सनातन संस्कृति अजर-अमर है, यह हजारों महान ऋषियों के कारण है। सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार समाज के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। हरिद्वार सांसद श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए युवाओं को आगे आने के लिए प्रेरित किया। माता मंगला ने कहा कि सनातन संस्कृति के रक्षक है संत समाज। इनके मागदर्शन एवं संरक्षण में सनातन संस्कृति पर आयोजित यह कार्यशाला निश्चित रूप से सफल साबित होगी।
इससे पूर्व अतिथियों ने शौर्य दीवार में अपनी भावांजलि अर्पित की तथा प्रज्ञेश्वर महादेव में पूजा अर्चना कर सनातन संस्कृति के उत्तरोतर प्रगति होने हेतु प्रार्थना की। युवा आइकान ने केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत, सांसद श्री रावत एवं हंस फाउण्डेशन की संस्थापिका माता मंगला जी का गायत्री महामंत्र लिखित चादर, युगसाहित्य, प्रतीक चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया। युवा आइकान एवं अतिथियों ने विवि द्वारा संपादित कई पत्रिकाओं आदि का विमोचन किया। इस दौरान श्री भोलेजी महराज, विधायक श्री मदन कौशिक, मेयर श्रीमती किरण जैसल, शांतिकुंज व्यवथापक श्री योगेन्द्र गिरि, कुलपति श्री शरद पारधी सहित स्थानीय प्रशासन के अधिकारीगण, देसंविवि-शांतिकुंज परिवार, मीडिया कर्मी, गणमान्य नागरिक, दून विश्ववविद्यालय एवं विभिन्न महाविद्यालयों के विद्यार्थिगण आदि उपस्थित रहें।
सम्मेलन में सनातन संस्कृति से जुड़े विभिन्न धाराओं पर विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने स्वास्थ्य और मानसिक शांति, दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलु, जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एम.एम चौहान ने आत्मनिर्भर भारत पर अपने विचार व्यक्त किए।