मानव जीवन को सार्थक करती है सतगुरु की अमृतवाणी - श्री महंत जगजीत सिंह
शिव प्रकाश शिव
हरिद्वार। कनखल स्थित निर्मल संतपुरा गुरुद्वारा आश्रम में 20 वां महान कीर्तन दरबार भक्तजनों की भारी उपस्थिति के बीच संपन्न हुआ इस अवसर पर एक विशाल संत समागम भी आयोजित किया गया संत समागम को संबोधित करते हुए आश्रम के परमाध्यक्ष ज्ञान मूर्ति श्री महंत जगजीत सिंह जी महाराज ने कहा सतगुरु की पावन वाणी मनुष्य के मन मस्तिष्क में बसे विकारों को दूर कर हमें सत्य की राह दिखाते हुए हमारे मानव जीवन को सार्थक कर देती है सतगुरु साक्षात पार ब्रह्म है सतगुरु की वाणी का एक-एक शब्द मानव जीवन के लियें जीवन कल्याण सुधा रस के सामान है मनुष्य ताउम्र तेरा मेरा में लगा रहता है वह भूल जाता है कि ईश्वर के बही खाते में सांसारिक वस्तुओं का कोई हिसाब नहीं है इसीलिये ईश्वर ने सभी को खाली हाथ धरती पर भेजा है और खाली हाथ ही एक दिन वापस बुलाया है आज तक इस संसार में जोड़ी गई धन संपत्ति संपदा बड़ी-बड़ी वस्तुवे किसी मनुष्य के साथ नहीं गयी क्योंकि ईश्वर सारस्वत है वाहेगुरु की वाणी साक्षात ईश्वर की वाणी है जो जीवन को सारस्वत कर देती है अगर इस मानव जीवन को धन्य बनाना है तो तेरा मेरा की कहानी छोड़ दो और सत्य की राह पर आ जाओ क्योंकि जब इस धरती लोग से परलोक जाना है तो खाली हाथ जाना है वहां सिर्फ मनुष्य के भले बुरे कर्मों का मोल होता है जो खा लिया किसी को खिला दिया वही अपना है अगर अच्छे कर्म किये तो अपने कर्मों के बलबूते पर सदियों तक लोगों के विचारों में लोगों के मस्तिष्क में यश कीर्ति के रूप में अमर रहोगे जोड़ी गई संपत्ति जोड़ा गया धन एक दिन दूसरे ही इस्तेमाल करेंगे इसलिए जीवन में दान धर्म सत्कर्म करते रहो यही मानव जीवन को सार्थक बनाते हैं और यही मानव के कल्याण का माध्यम बनते हैं परम पूज्य गुरुदेव संत रघुवीर सिंह शास्त्री महाराज परम पूज्य गुरुदेव संत महेंद्र सिंह जी महाराज के जीवन से प्रेरणा ले आज उनके मार्गदर्शन पर चलते हुए निर्मल संतपुरा जन कल्याणकारी कार्यों में समर्पित है इस अवसर पर बाबा मोहन सिंह महाराज संत मनजीत सिंह महाराज संत रतन सिंह महाराज संत जसविंदर सिंह महाराज महंत मोहन सिंह महाराज सहित अनेको संत महापुरुषों ने अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए ज्ञान की वर्षा की हरिद्वार के अने को मठ मंदिर आश्रम अखाड़े के संत महापुरुष कार्यक्रम में उपस्थित थे।
इस अवसर पर कोतवाल रमेशानन्द महाराज कोतवाल कमल मुनि महाराज सहित भारी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित थे।